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Wednesday, August 4, 2021

August 04, 2021

History of Computer in Hindi By :- Vijay Pradhan Sir

 


कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi) लगभग 300 ई.पू. पहले का माना जाता है, जब मनुष्य गिनती (Counting) करने के लिये लकड़ी, पत्थर, उंगलियों और हड्डियों का उपयोग करते थे। असल मे एक Calculating Device की खोज में ही मनुष्य ने Computer का अविष्कार किया। दिलचस्प बात ये है, कि शब्द कंप्यूटरका प्रयोग 16 वीं शताब्दी में ऐसे व्यक्ति के लिये होता था जो गणितिय गणना करने में माहिर हो।

कंप्यूटर का इतिहास – Brief History of Computer in Hindi

जैसा हमने अभी पढ़ा कि कई सौ साल पहले Computer शब्द का प्रयोग मशीन के लिये नही बल्कि उन व्यक्तियों के लिये किया जाता था जो जटिल गणितीय गणनाओं (Mathematical Calculation) को हल करने में सक्षम होते थे। इन्ही महान गणितज्ञों ने कैलकुलेशन को आसान बनाने के लिये कई प्रकार की संख्या प्रणालियों (Number Systems) को जन्म दिया।

Abacus

 

प्राचीन काल मे गणना करने के लिये कई प्रकार की Calculating Machine का उपयोग किया गया परन्तु Abacus उनमें सबसे प्रमुख रहा जिसका Asia के कई देशों में आज भी इस्तेमाल होता है। हालांकि Abacus का अविष्कार Babylonian में 2400 ई.पू. हो गया था। परन्तु जिस रूप से हम सबसे अधिक परिचित है, उसे China में पहली बार लगभग 500 ई.पू. में विकसित किया गया था। चीन में इसे “Suanpan” अर्थात Calculating Pan कहा जाता है।

ये डिवाइस आमतौर पर लकड़ी से बनी होती है। जिसमे कई धातु की छड़े लगी होती है, जिन पर लकड़ी या मिट्टी से बने मोतियों को पिरोया गया होता है। इसके चित्र में आप देखेंगे मोतियों को एक केंद्र छड़ी जिसे ‘Bar’ कहते है कि मदद से विभाजित किया गया है। इन मोतियों को नियम के हिसाब से ऊपर-नीचे करके ही बुनयादी अंकगणितीय गणनाएं (Arithmetic Operations) जैसे जोड़ और घटाना किये जाते थे।

 

 

ABC Computer लगभग 30 निर्देश प्रति सेकंड निष्पादित करने में सक्षम था। इसके साथ ही इसमें कई महत्वपूर्ण चीजे कंप्यूटर इतिहास में पहली बार लागू की गई थी जो आज भी आधुनिक Computer में मौजूद है जैसे:

·         दिए गए डेटा में सभी संख्याओं को प्रदर्शित करने के लिये Binary Digit (1 और 0) का उपयोग किया गया।

·         मैकेनिकल उपकरणों (Switches और Wheels) के बजाए इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग करके कैलकुलेशन की गयी।

·         वॉन न्यूमैन आर्किटेक्चर (Von Neumann Architecture) के सिद्धांत का उपयोग किया गया जिसमे मेमोरी और गणना अलग-अलग थे।

ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Calculator) जिसे 1973 से पहले दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर माना जाता था, परन्तु बाद में U.S District Court ने अपने फैसले में ENIAC patent को अमान्य ठहरा दिया। हालांकि इसे दुनिया के पहले सामान्य उद्देशीय इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर (First General Purpose-Electronic Computer) की उपाधि मिली हुई है।

सन 1945 में जे. प्रेसपेर एकर्ट (J. Presper Eckert) और जॉन मौचली (John Mauchly) द्वारा ENIAC को विकसित किया गया था। इसका उपयोग प्रथम बार U.S Army द्वारा जटिल गणनाएं करने के लिए किया गया। इसमें हजारों इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट का उपयोग किया गया था जिसमे: vacuum tubes, resistors, capacitors और relays शामिल है।

इसी वजह से एनियक का आकार बहुत बड़ा था। इसे रखने के लिये एक पूरे कमरे की आवश्यकता होती थी। चूंकि ये 5000 गणनाएं प्रति सेकंड कर सकता था इसलिए इसे उस समय के सबसे तेज Computer की उपाधि मिली। हालांकि आज के आधुनिक कम्प्यूटरों की तुलना में ये कुछ भी नही है। इसी युग मे कई और महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर विकसित किये गए जिन्होंने कम्प्यूटरों के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें:

·         UNIAC (Universal Automatic Computer) जिसे जे. प्रेसपेर एकर्ट (J. Presper Eckert) और जॉन मौचली (John Mauchly) द्वारा 1949 में बनाया गया था और ये पहला व्यासायिक कंप्यूटर (First Commercial Computer) था।

·         EDVAC (Electronic Discrete Variable Automatic Computer) एक इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था जिसे मौचली और एकर्ट ने वॉन न्यूमैन (Von Neumann) की सहायता से सन 1952 में विकसित किया था। इसे भी दुनिया के शुरुआती प्रोग्राममेबल कंप्यूटर में गिना जाता है।

·         EDSAC (Electronic Delay Storage Automatic Calculator) को एक ब्रिटिश कंप्यूटर वैज्ञानिक सर मौरिस विल्किस (Maurice Wilkes) और उनकी टीम ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में विकसित किया था। यह दुनिया का पहला व्यवहारिक सामान्य उद्देशीय संग्रहित-प्रोग्राम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर (Practical general purpose stored-program electronic computer) था।

·         हालांकि आधुनिक कंप्यूटर की कल्पना बहुत पहले ही एलन ट्यूरिंग (Alan Turing) द्वारा की जा चुकी थी। उन्होंने एक ‘Universal Turing Machine’ के अपने आईडिया को प्रस्तुत करते हुए ये साबित किया कि ऐसी मशीन किसी भी चीज की गणना करने में सक्षम है, जिसकी गणना की जा सकती है। उन्ही की इस सोच के आधार पर Computer के निरन्तर विकास में काफी सहायता मिली।

·         लेकिन आज Computer को हम जिस रूप में देखते है उसकी शुरुआत 1950 से हुई जब विलियम शॉकले (William Shockley), जॉन बारडीन (John Bardeen), और वाल्टर बराटीन (Walter Brattain) ने बेल लैब में “Transistor” का अविष्कार किया। इससे पहले Computers में vacuum tubes का उपयोग किया जाता था। चूंकि transistors आकार में छोटे और बिजली की खपत कम करते है। इसलिए जब इन्हें vacuum tube की जगह इस्तेमाल किया गया तो Computers पहले की तुलना में छोटे, तेज और अधिक कुशल हो गए।

·         इसी दौरान सन 1953 में दुनिया की पहली कंप्यूटर भाषा कोबोल (First Computer Language -Cobol) को ग्रेस हॉपर (Grace Hopper) द्वारा विकसित किया गया। हालांकि इसके कुछ ही सालों बाद 1956 में एक और प्रोग्रामिंग भाषा फोरट्रान (Fortran) को भी लांच किया गया। आधुनिक कंप्यूटर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब 1959 में Integrated Circuit या IC chipका अविष्कार हुआ। इसे जैक किलबी (Jack Kilby) और रोबर्ट नॉएस (Robert Noyce) द्वारा बनाया गया था।

·         इसकी खासियत ये थी कि इस एक चिप में कुई सारे इलेक्ट्रॉनिक घटकों जैसे, ट्रांजिस्टर, रजिस्टर और कैपिसिटर को आपस मे जोड़ दिया गया। जिस कारण Computer पहले के मुकाबले आकार में काफी छोटे और अधिक शक्तिशाली हो गए। Integrated Circuit के विकसित होने से ही PC, Laptop और Mobile Phones जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के बनने का रास्ता साफ हो सका।

·         इसके कई सालों बाद लगभग 1980 में MS-Dos (Microsoft Disk Operating System) जिसे उप्पर चित्र में दर्शाया गया है, को विकसित किया गया। जिसे IBM के पहले Personal Computer (IBM Model 5150) के साथ उपयोग किया गया था। इस समय तक Computers काफी आधुनिक हो चुके थे और अब वे गणनाएं करने के अलावा भी कई तरह के कार्य करने में सक्षम थे।

·         आगे भी Computer तकनीक में कई सारे बदलाव हुए जिसके फलस्वरूप आज ये इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस इतनी उपयोगी बन पायी। इसकी उपयोगिता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है, कि आज लगभग हर क्षेत्र में कंप्यूटर का उपयोग विभिन्न कार्यो के लिए किया जाता है।

·         कंप्यूटर का इतिहास संक्षेप में

·         कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi) एक कैलक्युलेटिंग डिवाइस को विकसित करने की सोच से शुरू होता है। हमने आपको गणना मशीन से आधुनिक कंप्यूटर के बनने तक का इतिहास उप्पर बताया। उम्मीद है, इस पोस्ट के माध्यम से आप विषय को बेहतर तरिके से समझ पाए होंगे। अगर आपके पास कंप्यूटर इतिहास से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो कृपिया कमेंट में हमे जरूर बताये। कंप्यूटर फंडामेंटल्स से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निचे दिए पोस्ट पढ़े।

·         अंत में पोस्ट ज्ञानवर्धक लगी हो तो कृपया इसे Social Media पर Share जरूर करे, ताकि आपके माध्यम से अन्य लोगों तक यह जानकारी पहुंच पाए।

 

Tuesday, August 3, 2021

August 03, 2021

vb.net Introduction

VB.Net एक सरल, आधुनिक, ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा है जिसे Microsoft द्वारा power of .NET Framework और common language runtime की विशेषताओं के साथ मिलाकर बनाया गया है |VB.Net प्रोग्रामिंग काफी हद तक बेसिक और विजुअल बेसिक प्रोग्रामिंग भाषाओं पर आधारित है Visual Basic .NET (VB.NET) एक ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा है जिसे .NET फ्रेमवर्क पर लागू किया गया है। यद्यपि यह क्लासिक विजुअल बेसिक भाषा का विकास है, यह VB6 लिखा गया कोई भी कोड VB.NET के अंतर्गत नहीं होता है। इसमें प्रत्येक कार्य object के माध्यम से किया जाता है तथा प्रत्येक ऑब्जेक्टों बेस क्लास से इन्हेरिट होता है
 VB.NET object-oriented concepts को पूर्णरूप से सपोर्ट करता है .
 Everything in VB.NET is an object, including all of the primitive types (Short, Integer, Long, String, Boolean, etc.) and user-defined types, events, and even assemblies. All objects inherits from the base class Object. VB.NET को Microsoft's .NET framework के द्वारा implement किया गया है अतः सभी libraries को पूर्ण रूप से एक्सेस कर सकता है 
 The following reasons make
 VB.Net a widely used professional language − 
 Modern, general purpose. 

 Object oriented. Component oriented. 

 Easy to learn. 

 Structured language. 

 It produces efficient programs. 

 It can be compiled on a variety of computer platforms.

 Part of .Net Framework. 

  Strong Programming Features VB.Net 

 Boolean Conditions 

 Automatic Garbage Collection 

 Standard Library 

 Assembly Versioning Properties and Events

 Easy-to-use 

 Conditional Compilation 

 Simple Multithreading

Sunday, February 28, 2021

February 28, 2021

Pointer In C Language: By Sapan Das

 Pointer C लैड्ग्वेज का एक महत्वपूर्ण feature है | यह c लैड्ग्वेज का एक एसा वारियाबले है जिसमे डाटा एक्सैस वैल्यू से ना होकर उसके लोकेशन से होता है pointer variable को हम value at address के नाम से भी जानते है |

इस variable के लिए * सिम्बल का उपयोग किया जाता है |

C भाषा में pointer एक variable होता है जो दूसरे वेरिएबल के address को स्टोर करता है। यह variable प्रकार int, char, array, function या किसी अन्य पॉइंटर का हो सकता है।

POinter के द्वारा हम डाटा को variable के address की सहायता से manipulate करते है | pointer variable किसी डाटा आइटम जैसे variable या array elements के location number या address को hold करके रखता है |pointer एक एसी पावर फूल taknic है जिसके द्वारा हम data को indirect access कर सकते है क्यूंकी यह किसी variable की memory मे स्थापित रहता है |

Example :--- int x =222;

यहा पर x एक variable है जिसकी value 222 है और यह मेमोरी मे मान लीजिये 4000 लोकेशन नंबर  पर है तो हम 222 को variable के नाम से भी एक्सैस कर सकते है और location number 4000 मे स्थित वैल्यू से भी एक्सैस कर सकते है 

Declaration of Pointer variable :----

पोइंटर वारियाबले को * symbol के साथ डिक्लैर किया जाता है 

<data_type> *  <var_name >;

int * ptr ;

किसी पोइंटर वारियाबले को डाइरैक्ट initialize नहीं किया जा सकता initialize  करने के लिए & operator का उपयोग किया जाता है 

Int * ptr ;

int x=105;

ptr=&x ;










ऊपर दिये गए उदाहरण मे ptr एक integer type pointer variable है और x एक integer type simple variable है जिसमे x का एड्रैस 4000 है तथा ptr का address 2050 है line ptr=&x; x के address को pointer variable ptr मे hold करता है अर्थात ptr का मान 4000 होगा 

Address Of (&) Operator in hindi

ऑपरेटर & का उपयोग एक variable का address देता है। लेकिन, हमें varible का address प्रदर्शित करने के लिए %u का उपयोग करने की आवश्यकता है।

  1. #include<stdio.h>  
  2.  main()
  3. {  
  4. int number=50;   
  5. printf(“value of number is %d, address of number is %u”,number,&number);    
  6. }    

Output

value of number is 50, address of number is fff4

Use of Pointer:-----

1.array और data tables को manage करने के लिए pointer अधिक सक्षम है |

2। pointer का उपयोग हम function मे argumen के रूप मे कर सकते  है 

3। pointer programe के execution speed को बढ़ाता है और complexcity कोप कम करता है 

4। dynamic memory allocation मे pointer का upyog किया जाता है 

#include<stdio.h>

#include<conio.h>

void main()

{

int v=5;

int *pv;

pv=&v;

clrscr();

printf("%u\n",&v);

printf("%u\n",pv);

printf("%u\n",&pv);

printf("%d\n",v);

printf("%d\n",*pv);

printf("%d\n",*(&v));

getch();

}

65524

65524

65522

5

5

5

Pointer Arithmatic:-----

अन्य vaviable कितरह pointer variable मे भी भिन्न भिन्न arithmatic ऑपरेशन किए जा सकते है |pointer के साथ निम्न arithmatic operations होते है 

1। Addition ऑफ two pointer variable 

2। multiplication ऑफ आ pointer variable with a constant 

3। division ऑफ pointer with constant 

example :- int * mptr ;

उपरोक्त उदाहरण मे mptr एक pointer type variable है मान लेते है की इसका एड्रैस मेमोरी मे 23454 है यदि इसके मान को एक बढ़ाना चाहें तो इस पर निम्न task perform करेंगे 

mptr++ या ++mptr 

mptr=mptr+1

अब पोइंटर मेमोरी मे एड्रैस 23454 के साथ अगली स्टीठी मे जाना चाहेगा 

  c लैड्ग्वेज मे अगली स्थिति पर पोइंटर को ले जाने के लिए int type के size को जोड़ता है जो निम्न प्रकार से कार्य करता है 

example :--

int mptr =mptr + 1*(size of data type)

23454 =23454+(1*2)

23456

void main()

{

int p=5;

float q=2.5

int *iptr;

float *fptr;

clrscr();

printf("\n The value of p=%d",p);

printf("\n The value of q=%f",q);

iptr=&p;

fptr=&q;

printf("\n The value of iptr=%u",iptr);

printf("\n The value of fptr=%u",fptr);

iptr++;

fptr++;

printf("\n The value of iptr=%u",iptr);

printf("\n The value of fptr=%u",fptr);

getch();

}

output:-

the value of p=5

the value of q=2.5

value of iptr==65524

value of fptr==65520

value of iptr==65526

अरे ऑफ प्वाइंटर

अरे ऑफ पॉइंट अभी एक अरे होता है जो दूसरे वेरिएबल के एड्रेस को रखता है एड्रेस जो अरे of pointer में उपस्थित रहता है वह अलग-अलग वेरिएबल के एड्रेस को होल्ड करके रखता है एक सामान्य अरे वेरिएबल में जो नियम लागू होते हैं वही सारे नियम प्वाइटर अरे अथवा अरे of pointer में भी लागू होता है 

Void main()

{

Int *a[3];

int x=20,y=30,z=40;

clrscr ()

a[0 ]=&x;

a[1 ]=&y;

a[2 ]=&z;

for (i=0;i<3;i++ )

{

printf ("%d",*(a[I]);

}

getch()

}

}

प्वाइंटर एंड अरे जैसा कि हम जानते हैं की एक अरे सिमिलर टाइप के डाटा का कलेक्शन होता है और मेमोरी में अरे के एलिमेंट कंटीन्यूअस स्टोर होते हैं जब हम किसी अरे को डिक्लेअर करते हैं तो कंपाइलर द्वारा बेस एड्रेस को एलोकेट कर कंटीन्यूअस मेमोरी एलोकेट किया जाता है और बेस एड्रेस अरे के फर्स्ट एलिमेंट का एड्रेस होता है इसके साथ ही कंपाइलर अरे की फर्स्ट एलिमेंट को कांस्टेंट वांटेड के रूप में भी डिफाइन करता है इसे हम नीचे दिए गए उदाहरण के द्वारा आसानी से समझ सकते हैं

void main ()

{

int x[3]={10,20,30};

int *pt;

clrscr ();

pt=&x;

printf("The address of 1st 2nd and 3rd elements");

printf ("%u%u%u",pt,pt+1,pt+2);

printf ("value stored in array%d%d%d",*pt,*(pt+1),*(pt+2));

getch ();

}

प्वाइंटर एंड कैरक्टर स्ट्रिंग

जैसा कि हम जानते हैं एक स्ट्रिंग कैरेक्टर अरे होता है जो अपने में ग्रुप ऑफ कैरेक्टर्स को रखता है यदि हम एक कैरेक्टर pointer को डिक्लेअर करते हैं तो यह एक स्ट्रिंग अथवा एक सिंगल कैरेक्टर को रखता है हम नीचे दिए गए उदाहरण के द्वारा ट्रैक्टर प्वाइंटर को समझ सकते हैं

void main ()

{

char name [ ]="hello";

char *s="hello";

Char *s1= ;

s1=name;

clrscr ();

printf ("String stored at name array %s\n",name);

printf ("String stored at pointer array %s\n",s);

printf ("String stored at pointer array %s\n",s1);

s1++;

printf ("String stored at pointer array %s\n",s1);

getch ();

}







Friday, February 12, 2021

February 12, 2021

Function In C Language

#include<stdio.h>

#include<conio.h>

void main()

{

void sum();

clrscr();

printf("This program calculate the sum of two number");

sum();

getch();

}

void sum()

{

int x,y,result=0;

printf("Enter the value");

scanf("%d%d",&x,&y);

result=x+y;

printf("The sum of two number =%d",result);

getch();

}

------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

#include<stdio.h>

#include<conio.h>

void main()

{

void sum(int,int)

int x,y;

clrscr();

printf("This program calculate the sum of two number");

printf("Enter the value");

scanf("%d%d",&x,&y);

sum(x,y);

getch();

}

void sum(int a,int b)

{

int result=0;

result=a+b;

printf("The sum of two number =%d",result);

}

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

#include<stdio.h>

#include<conio.h>

void main()

{

int sum(int,int)

int x,y,result=0;

clrscr();

printf("This program calculate the sum of two number");

printf("Enter the value");

scanf("%d%d",&x,&y);

result=sum(x,y);

printf("The sum of two number =%d",result);

getch();

}

int sum(int a,int b)

{

int s=0;

s=a+b;

return(s);

}